Wednesday, April 27, 2011

Was it just yesterday when (WIJYW)..... < Dedicated to 2009-11 batch and timeless experience at SPJIMR>














Was it just yesterday when, (WIJYW)

We forgot all our strives…

And walked into each other’s lives



WIJYW,

We helped and advised…

Or just cribbed and criticized



WIJYW,

Together we achieved and cheered…

Or just hoped, prayed and feared



WIJYW,

We ‘held on’ and tried…

Or just ‘gave up’ and cried



WIJYW,

We agreed to put up a fight…

Or just argued and reconciled



WIJYW,

We loved and cared…

Or just the stories we often shared



For all these moments – high or low,

Deep inside we all know…

It’s sure to leave us some pain,

Because it will never be the same again…



Was it just yesterday when,

We promised to be there today, tomorrow and whenever,

For we are a family of 178 forever…

बचपन की वोह कागज़ की कश्ती...


Dedicated to the time spent on earth till now :) :)








बारिश के पानी से समंदर तक,

छोटी चुनोतियों से बड़े बवंडर तक,

मीलों का सफ़र तै कर आई है...

बचपन की वोह कागज़ की कश्ती, काफी दूर चल आई है.



लहरों से स्थिरता, मकामों से उम्मीद,

तूफानों से साहस लिए,

अनुभवों की बुनियाद पे हमेशा कुछ नया सीखती आई है...

बचपन की वोह कागज़ की कश्ती, काफी दूर चल आई है.



बोहोत मिले राह में साथी हमसफ़र,

थोरी देर साथ चले, फिर थामी अपनी डगर,

कुछ को साथ लिए, कुछ को पीछे चोर आई है...

बचपन की वोह कागज़ की कश्ती, काफी दूर चल आई है.



मंजिल कहाँ है, मालूम नहीं,

पर पाना है उसे, इतना है यकीन,

शायद यही सोच के अब तक बदती आई है...

बचपन की वोह कागज़ की कश्ती, काफी दूर चल आई है